राष्ट्रीय आजीविका मिशन से जुड़कर मधु ने बनायी एक अलग पहचान
Madhu created a different identity by joining National Livelihood Mission

विष्णु का सुशासन: मजदूरी कर मशरूम उगाया, अब चला रही सीएचसी
लखपति दीदी बनीं सारंगपुरी की मधु कंवर
श्रीमती कंवर बताती हैं कि पहले परिवार की माली हालत बहुत खराब थी। वे बड़े किसानों के खेतों में रोजी-मजदूरी किया करतीं थीं। बच्चों की पढ़ाई और घर की दूसरी जरूरतें पूरा करना भी मुश्किल था। सीमित आय और संसाधनों के बीच सही ढंग से जीवन जीने के लिए संघर्ष करने वाली मधु ने राष्ट्रीय आजीविका मिशन से जुड़कर जय मॉं कर्मा महिला स्व-सहायता समूह के माध्यम से प्रशिक्षण और स्व-रोजगार के तरीके सीखे। उनके समूह ने सबसे पहले धान खरीदी-बिक्री का काम शुरू किया। कुछ आमदनी होने पर मशरूम उत्पादन किया और उसे बेचकर मुनाफा कमाते गए। आजीविका मिशन के तहत समूह के माध्यम से लोन लेकर उन्होंने अपने घर में ही कॉमन सर्विस सेंटर शुरू किया। इस सर्विस सेंटर में सरकार की ई-गवर्नेंस सुविधाएं जैसे-आय, जाति, निवास प्रमाण पत्र बनाना, विवाह पंजीयन करना, बिजली बिल का भुगतान, आधार कार्ड-श्रम कार्ड-आयुष्मान कार्ड बनाने जैसे दूसरे कई काम शुरू किये। इन सेवाओं के लिए शासन द्वारा निर्धारित शुल्क से मधु हर महीने एक निश्चित आय अर्जित कर महिला सशक्तिकरण का उदाहरण पेश कर रही है। उन्होंने बताया कि हर की आवश्यक जरूरतो को पूरा करने में मदद करती है तथा सामाजिक कार्यक्रम में भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेती है जिससे समाज में भी विशेष सम्मान मिलने लगा है।
मधु कंवर और उनके स्व सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं ने राष्ट्रीय आजीविका मिशन से जुड़कर मोमबत्ती बनाना, केक बनाना, मछली पालन, मशरूम उत्पादन, बैंक सखी जैसे कई कामों को अपने हाथों में लिया है। आज मधु ने अपनी आर्थिक स्थिति बेहतर कर घर-गृहस्थी की बागडोर को भी मजबूती दी है। स्व-सहायता समूहों से जुड़कर आत्मनिर्भर होने की प्रेरणा दे रही मधु का सामाजिक और पारिवारिक दायित्व पर भी आत्मविश्वास बढ़ा है।