छत्तीसगढ़

रायपुर के सोंडरा गांव में पैदावार कम हुई, स्किन-प्रॉब्लम और अस्थमा से जूझ रहे लोग

Production decreased in Raipur's Sondra village, people are suffering from skin problems and asthma

रायपुर । आज विश्व पर्यावरण दिवस है। लेकिन छत्तीसगढ़ के रायपुर से लगे धरसींवा विधानसभा क्षेत्र का सोंडरा गांव प्रदूषण की मार झेल रहा है। उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषण और काले धुएं की वजह से ग्रामीणों की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है। फसल की पैदावार भी कम हो गई

इतना है कि घरों की छत से लेकर पेड़ पौधे और तालाब पर भी काला धुआं जम रहा है। प्रदूषण की वजह से ग्रामीण स्किन प्रॉब्लम और अस्थमा जैसी बीमारियों से जूझ रहे हैं। फैक्ट्री में पॉल्यूशन कंट्रोल करने कुछ उपकरण लगाते हैं। कंपनी उसे दिन में चालू रखते हैं, लेकिन रात में बंद कर देते हैं। गांव के आसपास करीब 15 से 20 फैक्ट्रियां है। इनमें 3 स्पंज आयरन और बाकी स्टील उद्योग हैं।

सोंडरा गांव की राधा साहू ने बताया कि, प्रदूषण के खिलाफ कई बार आंदोलन किया गया, लेकिन अभी तक हमें स्वच्छ वातावरण नहीं मिल पाया है। हमारी समस्याओं को लेकर भी कोई जनप्रतिनिधि बात नहीं सुनते हैं। प्रदूषण से गांव की पूरी जनता परेशान है।

आए दिन ग्रामीणों को खुजली, फोड़ा और खांसी-सर्दी जैसी समस्याएं होती है। ठंड के मौसम में सबसे ज्यादा लोगों का हेल्थ पर असर पड़ता है। आस-पास की फैक्ट्री रात से समय काले हुए और प्रदूषण को छोड़ती है।

सोंडरा गांव के सरपंच संतोष साहू ने बताया कि, फैक्ट्री में पॉल्यूशन कंट्रोल करने वाला सिस्टम लगा रहता है। कंपनी की ओर से उसे दिन में चालू रखा जाता है, लेकिन रात के समय बंद कर दिया जाता है। अंधेरा होने के बाद फैक्ट्री की ओर से बेतरतीब तरीके से प्रदूषण और काला डस्ट छोड़ा जाता है। इसके खिलाफ ग्रामीणों ने कई बार आंदोलन भी किया है, लेकिन कंपनी वाले नहीं मानते हैं।

गांव के किसान सुजीत कुमार निषाद ने बताया कि, प्रदूषण के चलते आसपास के जमीनों की उर्वरक क्षमता भी कम हो गई है। पहले के मुकाबले सब्जी और धान की पैदावार कम हो गई। कंपनियों की ओर से जो धुएं और प्रदूषण छोड़े जाते हैं, वो फसलों में आकर चिपक जाते हैं। इसके साथ ही कंपनी से निकलने वाला गंदा पानी ऐसे ही बहा दिया जाता है। जिससे जमीन की उर्वरक क्षमता कम हो रही है।

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