बच्चों से श्रम कराना नहीं, उन्हें सपने दिखाना हमारी जिम्मेदारी : मंत्री राजवाड़े
It is our responsibility to show dreams to children, not to make them work: Minister Rajwada

रायपुर। अंतर्राष्ट्रीय बाल श्रम निषेध दिवस के अवसर पर महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े ने बाल श्रम के प्रति सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि बच्चों से श्रम कराना न केवल अमानवीय है, बल्कि यह एक दंडनीय अपराध भी है। उन्होंने कहा कि बच्चों का स्थान किताबों, खेल के मैदान और परिवार के स्नेह में होना चाहिए, न कि कारखानों, होटलों या दुकानों में। मंत्री श्रीमती राजवाड़े ने कहा कि आज भी समाज के कई हिस्सों से बाल श्रम और बाल तस्करी की घटनाएं सामने आती हैं, जो चिंताजनक हैं। कुछ लोग थोड़े से लाभ के लिए बच्चों से काम करवाकर न केवल उनका बचपन छीनते हैं, बल्कि उनके भविष्य को भी अंधकार में धकेलते हैं। बच्चों से किया गया कोई भी ऐसा कार्य जो उनके शारीरिक, मानसिक और सामाजिक विकास में बाधा उत्पन्न करे, कानून की दृष्टि में संगीन अपराध है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा बाल श्रम की रोकथाम के लिए लगातार कार्रवाई की जा रही है। 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से खतरनाक या हानिकारक कार्य कराना पूरी तरह प्रतिबंधित है और ऐसे मामलों में सख्त कानूनी कदम उठाए जाते हैं। लेकिन केवल सरकारी प्रयास ही पर्याप्त नहीं हैं। समाज के प्रत्येक व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह बाल अधिकारों के संरक्षण में भागीदार बने। श्रीमती राजवाड़े ने आम जनता से अपील की कि यदि कहीं भी बच्चों से अवैध रूप से काम लिया जा रहा है, उनके साथ दुव्र्यवहार या हिंसा हो रही है, तो उसकी जानकारी तुरंत पुलिस, चाइल्ड हेल्पलाइन 1098, महिला एवं बाल विकास विभाग या स्थानीय प्रशासन को दें। उन्होंने कहा, बच्चों की सुरक्षा, शिक्षा और समुचित विकास ही सशक्त राष्ट्र की नींव है। हमारी संवेदनशीलता और जागरूकता ही उन नन्हें जीवनों को एक बेहतर भविष्य दे सकती है।