स्व सहायता समूह की दीदी आजीविका मूलक गतिविधियों से जुड़कर बनी आत्मनिर्भर
Sister of self-help group became self-reliant by joining livelihood based activities

समूहों से 1 लाख 24 हजार से अधिक महिलाएं जुड़कर कर रही है कार्य
विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार इनमें स्व-सहायता समूह को 703 ग्राम संगठन एवं 32 संकुल संगठन के माध्यम से संगठित किया गया है। गठित स्व-सहायता समूह सदस्यों की आय में निरंतर वृद्धि के लिए सार्थक प्रयास भी किए जा रहे हैं। महिलाओं को कृषि के माध्यम से बीज उपचार, प्राकृतिक खाद, द्रव जीवामृत, घन जीवामृत, ब्रह्मास्त्र, नीमस्त्र, निर्माण एवं निरंतर प्रयोग हेतु प्रेरित किया जा रहा है, इस प्रकार से कृषि पशुपालन, मत्स्य पालन, किराना दुकान, ईट निर्माण आदि विभिन्न आजीविका गतिविधियों के माध्यम से उनकी आय में वृद्धि हेतु प्रयास किया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ शासन की विभिन्न योजनाओं जिसमें मुख्यतः कृषि विभाग, पशुपालन विभाग, मत्स्य पालन विभाग, रेशम विभाग, रोजगार गारंटी योजना आदि में संचालित होने वाली योजनाओं से जोड़कर स्व-सहायता समूह सदस्यों की आय में वृद्धि हेतु प्रयास किया जा रहा है। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत सामुदायिक निधि के द्वारा समूह सदस्यों को ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है। साथ ही साथ बैंक के माध्यम से स्व-सहायता समूह का बैंक लिंकेज एवं मुद्रा लोन के माध्यम से पर्याप्त मात्रा में आजीविका गतिविधि हेतु राशि उपलब्ध कराई जा रही है, जिससे उनमें आत्मनिर्भरता बढ़ती जा रही है।