छत्तीसगढ़

मितानिनों का एक धड़ा उपेक्षित और शोषित, आक्रोशित होकर सौंपा ज्ञापन,स्थानीय प्रशासन नहीं ले रहे सुध – लक्ष्मी निषाद

A group of Mitanins are neglected and exploited, they submitted a memorandum in anger, the local administration is not taking any action - Laxmi Nishad

पखांजूर। छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ कही जाने वाली मितानिनें इन दिनों अपने ही अधिकारों को लेकर संघर्षरत हैं। पखांजूर क्षेत्र की मितानिनों का एक बड़ा धड़ा लगातार उपेक्षा और शोषण का शिकार हो रहा है। इन्हीं समस्याओं को लेकर मितानिन संगठन ने सामूहिक रूप से आक्रोश व्यक्त करते हुए एसडीएम पखांजूर को ज्ञापन सौंपा है।
मितानिन संगठन द्वारा सौंपे गए ज्ञापन में साफ तौर पर कहा गया है कि वर्तमान में मितानिनों के नाम पर चलाए जा रहे काम बंद, कलम बंद आंदोलन का समर्थन सभी मितानिनें नहीं कर रही हैं। बल्कि यह आंदोलन वास्तव में एमटी, बीसी,एसपीएस का है।इनके द्वारा मितानिन(आशा)यूनियन को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है,मितानिनों को जबरन आंदोलन में शामिल होने के लिए हर तरह के हथकंडे अपना रहे है।इन सब से अलग मितानिन ,अपनी वास्तविक मांगों के समाधान की अपेक्षा रखती हैं। संगठन ने कहा कि मितानिनें स्वास्थ्य सेवा की अग्रिम पंक्ति में रहकर गांव-गांव, घर-घर तक अपनी सेवाएँ दे रही हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्हें न तो उनके परिश्रम के अनुरूप मानदेय मिल रहा है और न ही वर्षों से लंबित प्रोत्साहन राशि का भुगतान हो रहा है।
ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि वर्ष 2015-16, 2016-17, 2017-18 तथा 2019-20 के दौरान किए गए कार्यों की प्रोत्साहन राशि अब तक कई मितानिनों को नहीं मिल सकी है। वहीं, कुछ मितानिनों को तो 50 प्रतिशत तक भुगतान हुआ जबकि शेष राशि आज भी बकाया है। इससे मितानिनों में गहरी नाराजगी है।
संगठन ने यह भी आरोप लगाया कि प्रोत्साहन राशि वितरण में भारी अनियमितताएं हुई हैं। कई मितानिनों को उनका मेहनताना दिए बिना ही फर्जी तरीके से भुगतान दर्शाया गया है। इससे साफ है कि स्थानीय स्तर पर घोटाले की संभावना है। इस पर तत्काल जांच की मांग करते हुए संगठन ने कहा कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, ताकि मितानिन बहनों का भरोसा कायम रह सके।
ज्ञापन के माध्यम से मितानिनों ने स्वास्थ्य मंत्री, मुख्य सचिव और संबंधित विभागीय अधिकारियों से आग्रह किया कि वे स्वयं हस्तक्षेप कर मितानिनों की समस्याओं का जल्द से जल्द निराकरण करें। साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उनकी उपेक्षा जारी रही तो वे आंदोलन को और उग्र करने पर विवश होंगी।
 कुल मिलाकर, पखांजूर की मितानिनों का एक धड़ा अपने हक और अधिकार की लड़ाई में अब आर-पार के मूड में है। स्वास्थ्य सेवाओं की आधारशिला मानी जाने वाली ये मितानिनें यदि निरंतर उपेक्षित होती रहीं, तो ग्रामीण स्वास्थ्य ढांचे पर इसका प्रतिकूल असर पड़ना तय है।

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