
नई दिल्ली । कभी सूखी रोटियां खाईं, कभी आंसुओं से हिम्मत जुटाई लेकिन सपनों को कभी टूटने नहीं दिया। यह कहानी है हिमाचल प्रदेश के छोटे से गांव पारसा की मां-बेटी की, जिन्होंने संघर्ष के बीच इतिहास रच दिया। जब भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने वर्ल्ड कप अपने नाम किया, तो इस जीत के पीछे शिमला की बेटी रेणुका सिंह ठाकुर और उनकी मां सुनीता ठाकुर का अटूट समर्पण और जज्बा दिखाई दिया। शिमला जिले के रोहड़ू उपमंडल के पारसा गांव की रेणुका ने देश को गौरवान्वित किया। उनकी सफलता के पीछे मां सुनीता ठाकुर की वर्षों की मेहनत, त्याग और संघर्ष की कहानी छिपी है। बेटी की जीत पर जब दैनिक जागरण ने सुनीता ठाकुर से बात की, तो उनकी आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े।



