छत्तीसगढ़

बड़े माओवादी नेताओं के सरेंडर के बाद हिड़मा मुख्य नाम

Hidma is the main name after the surrender of big Maoist leaders

जगदलपुर: छत्तीसगढ़ में माओवादियों के खिलाफ चल रहे आक्रामक अभियानों के बीच सुरक्षा एजेंसियों को पुख्ता इनपुट मिले हैं कि देश का सबसे वांछित माओवादी कमांडर हिड़मा फिलहाल तेलंगाना के घने जंगलों में छिपा हुआ है। सूत्रों के अनुसार, कुछ दिनों पूर्व उसकी उपस्थिति कर्रेगुट्टा की पहाड़ियों के आसपास देखी गई थी।

हिड़मा, जो माओवादी संगठन की बटालियन नंबर-1 का प्रभारी और केंद्रीय समिति का सदस्य है, लंबे समय से सुरक्षा बलों के रडार पर है। शीर्ष माओवादी नेताओं बसवा राजू, के. रामचंद्र रेड्डी (गुड्सा उसेंडी), के. सत्यनारायण रेड्डी (कोसा) के मारे जाने और भूपति, रूपेश, सुजाता व ककराला सुनीता जैसे वरिष्ठ कैडरों के आत्मसमर्पण के बाद अब बस्तर में हिड़मा ही माओवादी संगठन की शेष ताकत का मुख्य प्रतीक रह गया है।

इधर राज्य में माओवादी गतिविधियां अब तेजी से सिमट रही हैं। सुरक्षा बलों के सघन अभियानों और गांव-स्तर पर लागू समर्पण नीति के बाद भी हिड़मा की वापसी की संभावना बेहद क्षीण मानी जा रही है। इसके बावजूद, फोर्स अब छत्तीसगढ़–तेलंगाना सीमा पर विशेष इंटर-स्टेट कोआर्डिनेशन अभियान की तैयारी में जुटी है।

इसी बीच, छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा सोमवार को हिड़मा के गांव पूवर्ती पहुंचे और उसकी मां से मुलाकात की। उन्होंने हिड़मा से हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौटने की अपील की। उपमुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि सरकार की प्राथमिकता मार्च 2026 तक बस्तर और आसपास के क्षेत्रों से माओवादी हिंसा का पूर्ण उन्मूलन है। हिड़मा की मां पूंजी और देवा की मांग सिंगे ने भी वीडियो जारी कर अपने बेटों से मुख्यधारा में लौट आने की अपील की है।
बटालियन कमांडर से केंद्रीय समिति सदस्य बना हिड़मा

माओवादी संगठन में हिड़मा का नाम पहली बार झीरम घाटी हमले के बाद चर्चाओं में आया था। पिछले वर्ष उसे केंद्रीय समिति का सदस्य बनाया गया, हालांकि पद की दृष्टि से वह अपेक्षाकृत नीचे है, लेकिन प्रभाव और पहचान के लिहाज से वह पिछले एक दशक से संगठन का सबसे प्रभावशाली चेहरा बना हुआ है।

माओवादी मामलों के जमीनी पत्रकार व यूट्यूबर विकास तिवारी कहते हैं कि हिड़मा का नाम इतना बड़ा है कि जब भी देश या विदेश में माओवादी आंदोलन की चर्चा होती है, तो बसवा राजू, गुड्सा उसेंडी, कोसा, भूपति या देवजी जैसे वरिष्ठ नेताओं से पहले उसके नाम पर चर्चा होती है। हिड़मा देश की एकमात्र माओवादी बटालियन नंबर-1 का कमांडर रह चुका है, वही बटालियन जो देशभर में सबसे संगठित और घातक हमलों के लिए कुख्यात रही है।

संगठन ने अब उसे केंद्रीय समिति सदस्य के साथ बटालियन नंबर-1 का प्रभारी नियुक्त किया है। उसकी जगह उसके ही गांव पूवर्ती के बारसे देवा को नया कमांडर बनाया गया है। वर्तमान में हिड़मा पर 45 लाख रुपये का इनाम घोषित है और वह अब भी देश के सबसे वांछित माओवादी नेताओं में शामिल है।

इधर सुरक्षा बलों ने मंगलवार को बीजापुर जिले के इंद्रावती नेशनल पार्क क्षेत्र में एक बड़ा अभियान चलाया है। पार्क क्षेत्र में शीर्ष माओवादियों की उपस्थिति की सूचना के बाद नारायणपुर, बीजापुर व दंतेवाड़ा जिले से सुरक्षा बलों के दो हजार से अधिक जवान नदी-नालों को पार कर घने जंगलों के बीच तक जा पहुंचे हैं। बताया जा रहा है कि इस अभियान में कुछ माओवादी मारे गए हैं। पुलिस की ओर से अभियान की पुष्टि करते कहा गया है कि विस्तृत जानकारी अभियान पूरा होने के बाद दी जाएगी।

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