छत्तीसगढ़

शिक्षक युक्तियुक्तकरण से संवरने लगी शिक्षा व्यवस्था, सपनादर प्राथमिक शाला को मिले तीन शिक्षक

Education system started improving with teacher rationalization, Sapnadar Primary School got three teachers

रायपुर । छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में प्रारंभ की गई शाला-शिक्षक युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया का सकारात्मक प्रभाव अब स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है। प्रदेश के दूरस्थ और शिक्षकविहीन शालाओं में शिक्षकों की पदस्थापना सुनिश्चित कर बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की दिशा में यह एक सार्थक कदम सिद्ध हो रहा है।

सरगुजा जिले के मैनपाट के वनांचल क्षेत्र स्थित सपनादर गांव की प्राथमिक शाला, जो अब तक पूरी तरह शिक्षक विहीन थी, वहां शासन द्वारा युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के तहत तीन शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। इससे गांव में शिक्षा को लेकर एक नई आशा जगी है और ग्रामीणों में हर्ष का वातावरण बन गया है।

ग्रामवासी श्री रामेश्वर यादव ने बताया कि उनके गांव में शिक्षक न होने के कारण बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह बाधित हो रही थी, लेकिन अब तीन शिक्षकों की पदस्थापना से बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो गया है। वहीं श्री कन्हैया यादव ने कहा कि गांव में आबादी अधिक है और बच्चों की संख्या भी कम नहीं है, ऐसे में यह नियुक्ति बेहद जरूरी थी। अब बच्चे गांव में ही नियमित रूप से पढ़ाई कर सकेंगे और उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिलेगी। ग्रामीणों ने इस पहल के लिए शासन और मुख्यमंत्री के प्रति आभार प्रकट किया है।

मैनपाट विकासखंड के शिक्षा अधिकारी श्री योगेश शाही ने बताया कि मैनपाट क्षेत्र में कुल 225 शालाएं हैं, जिनमें 141 प्राथमिक, 73 माध्यमिक, 8 हाईस्कूल और 4 हायर सेकेंडरी शालाएं शामिल हैं। युक्तियुक्तकरण के अंतर्गत यहां के पांच शिक्षकविहीन विद्यालयों में शिक्षकों की पदस्थापना की गई है। साथ ही 38 एकल शिक्षकीय विद्यालयों में से 34 में अतिरिक्त शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। इससे क्षेत्र की शिक्षा व्यवस्था को नई मजबूती मिली है।

श्री शाही ने यह भी कहा कि विभाग की सर्वाेच्च प्राथमिकता यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी शाला में शिक्षक की कमी न हो और हर बच्चे को बेहतर, सुलभ और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त हो। युक्तियुक्तकरण की यह नीति मैनपाट जैसे वनांचल क्षेत्र में शिक्षा की रोशनी पहुंचाने की दिशा में बेहद प्रभावशाली सिद्ध हो रही है।

Related Articles

Back to top button