छत्तीसगढ़

मजदूरी से आत्मनिर्भरता तक: रतन चंदेल की प्रेरक यात्रा

From labour to self-reliance: The inspiring journey of Ratan Chandel

रायपुर । बकावंड ब्लॉक के ग्राम जैतगिरी निवासी 44 वर्षीय रतन चंदेल कभी मजदूरी कर अपने परिवार की गाड़ी जैसे-तैसे खीचता था। सीमित आमदनी के कारण जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ था। हालांकि उनके जीवन में नया मोड़ तब आया जब वे जिला हाथकरघा कार्यालय जगदलपुर से संबद्ध दंतेश्वरी बुनकर सहकारी समिति मर्यादित जगदलपुर से जुड़ा।

संस्था से जुड़ने के बाद रतन चंदेल ने बुनकर प्रशिक्षण प्राप्त किया और धीरे-धीरे इस क्षेत्र में कुशलता हासिल की। वर्तमान में वे प्रतिदिन औसतन 17 मीटर कपड़े की बुनाई करता है और सालभर में लगभग 6120 मीटर कपड़े का उत्पादन कर लेता है। यह उनके लिए एक स्थायी और सम्मानजनक आय का स्रोत बन गया है।

रतन चंदेल बताते हैं कि वर्ष 2024-25 में उन्होंने लगभग 2 लाख रुपये की आमदनी अर्जित की है। अब उनका परिवार खुशहाल जीवन जी रहा है और उन्हें भविष्य के लिए भी आर्थिक स्थिरता का भरोसा प्राप्त हो गया है। वे अपनी इस सफलता का श्रेय दंतेश्वरी बुनकर सहकारी समिति और जिला हाथकरघा कार्यालय को देते हैं।

रतन चंदेल अन्य बुनकरों और युवाओं को भी ईमानदारी व मेहनत से काम करने की प्रेरणा देते हैं। उनका मानना है कि यदि लगन हो तो आत्मनिर्भरता की राह पर कोई भी आगे बढ़ सकता है। उनकी यह कहानी उन सभी के लिए प्रेरणास्रोत है जो जीवन में सकारात्मक बदलाव की चाह रखते हैं।

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