छत्तीसगढ़

पक्के मकान के बारे में कभी सोचा ही नहीं था, बनने के बाद लगता है अपना भी एक घर है

I had never thought about a permanent house, but after it is built, I feel I have a house of my own

रायपुर । ग्रामीण बृजमोहन खैरवार का वैसे तो खुद का अपना एक घर था, लेकिन उस घर में सुकून कम परेशानी ज्यादा थी। बृजमोहन को लगता था कि उसकी जिंदगी बस खेती-किसानी के कार्यों में उलझ कर गुजर जाएगी, पक्के मकान के लिए कभी पैसा नहीं जोड़ पाएगा। बृजमोहन की जिंदगी के कई साल ऐसे ही गुजर गए… पक्के मकान का सपना सपना ही बनकर रह गया। अपनी झोपड़ी को पक्का करने की चर्चा पत्नी और बच्चों से कई बार होती थी, लेकिन बात पैसों पर आकर अटक जाती थी और पक्के मकान का सपना पल भर में धराशायी हो जाता था।

पक्के मकान की हसरतों के बीच जब प्रधानमंत्री आवास योजना में बृजमोहन का नाम आया तो जैसे उसके सपने को पंख मिल गए। उसने कुछ राशि का इंतजाम किया और योजना से मिली राशि को मिलाकर अपना घर बनवा लिया। अब गाँव में बृजमोहन का भी पक्का मकान है जिसमें वह अपनी पत्नी इन्जोरा बाई और बच्चों के साथ बिना किसी परेशानी के रह रहे हैं।

कोरबा जिले के पोड़ी उपरोड़ा विकासखण्ड के जटगा गांव के रहवासी बृजमोहन खैरवार बताते हैं कि वे वर्षों से झोपड़ी में रह रहे थे। समय के साथ झोपड़ी के जर्जर हो जाने पर बारिश के दिनों में हर साल परेशानी उठानी पड़ती थी। मरम्मत में हर साल खर्चा भी होता था। उसके पास इतने पैसे नहीं थे कि घर को पक्का बना सके। पूरे परिवार की इच्छा थी कि घर पक्का बन जाए, लेकिन पैसे का इंतजाम नहीं हो पाने से इच्छाएं अधूरी ही रह जाती थी।

प्रधानमंत्री आवास योजना में नाम आने के बाद बृजमोहन ने कुछ राशि का इंतजाम किया और अपना पक्का मकान बनाया। उसके नए घर में अब सिर्फ प्लास्टर का कार्य बचा है। जल्दी ही यह भी पूरा हो जाएगा। वे खुद का पक्का मकान बन जाने पर खुशी जाहिर करते हुए कहते हैं कि हमारा सौभाग्य है कि पीएम आवास योजना में नाम आया। हम सभी भारत सरकार और छत्तीसगढ़ सरकार के आभारी हैं कि योजना में हमारे परिवार को चयनित कर मकान बनाने के लिए राशि प्रदान की।

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