छत्तीसगढ़

बारिश-बाढ़ से बदहाल बस्तर की शिक्षा व्यवस्था

Bastar's education system is in shambles due to rain and floods

जगदलपुर: स्कूल पहुंचने के लिए रस्सियों और लकड़ियों का सहारा। नदी-नाले में गले तक पानी से गुजरती शिक्षिकाएं और छात्राएं…। ये दृश्य नारायणपुर का है। बस्तर संभाग में हाल ही में हुई भारी बारिश और बाढ़ ने शिक्षा व्यवस्था पर गहरा असर डाला है। स्कूल पहुंचने के लिए छात्रों, शिक्षक-शिक्षिकाओं को जान जोखिम में डालना पड़ रहा है।

एक आकलन के अनुसार बस्तर संभाग के नारायणपुर, बीजापुर, दंतेवाड़ा, सुकमा और बस्तर जिले के 300 से अधिक स्कूल प्रभावित हुए हैं। शिक्षा अधिकारियों ने बताया कि कई जगहों पर पुल और सड़कें क्षतिग्रस्त होने के कारण स्कूल पहुंचना मुश्किल हो गया है। नारायणपुर के ओरछा ब्लॉक (अबूझमाड़) में कुछ जगहों पर स्कूल पहुंचने के लिए नदी-नाला पार करना पड़ रहा हैं।

बस्तानार ब्लॉक में पालानार-कुम्हारसोडरा मार्ग में शिक्षिकाएं क्षतिग्रस्त पुल पर सीढ़ी लगाकर जान जोखिम में डालकर स्कूल पहुंच रही हैं। बीजापुर में 100 से अधिक स्कूलों में शिक्षक नहीं पहुंच पा रहे हैं और जो स्कूल झोपड़ियों में चल रहे थे वे पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। नदी-नाले, पहाड़ और सघन वन तथा पहुंच विहीन अंदरूनी क्षेत्रों में पहले से ही आने-जाने में परेशानी थी, बारिश और बाढ़ ने स्थिति को और मुश्किल बना दिया है।

सड़कें बह गई हैं, कई पुल-पुलिया टूटे हैं। इसके कारण स्कूल तक पहुंचने की कठिनाई है। बस्तर के जिला शिक्षा अधिकारी बलीराम बघेल का कहना है कि लोहंडीगुड़ा, दरभा और बास्तानार विकासखंड में स्कूल प्रभावित हुए हैं। स्थानीय प्रशासन और ग्रामीण मिलकर स्कूलों को दोबारा शुरू करने का प्रयास कर रहे हैं ताकि बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो।

दंतेवाड़ा जिले में बारसूर के निकट मांडर नाला का पुल टूटने से मिडिल स्कूल रेकागांव और कोरकोटी के बच्चे लकड़ी के सहारे नाला पार कर आने-जाने को मजबूर हैं। ओरछा से 30 किलोमीटर दूर मिडिल स्कूल जाटलूर के शिक्षक-शि़क्षिका ओरछा में निवास करते हैं। यहां से स्कूल जाने कुछ दूरी दोपहिया वाहन फिर पैदल तय करते हैं। गांव के समीप बहने वाली कुड़मेल नदी को पार करने गले तक पानी में डूबकर रस्सी के सहारा लेना पड़ रहा है।

जोखिम लेने वाली शिक्षिका नूतन एक्का और विनीता मिंज ने बताया कि बाढ़ अधिक है, लेकिन स्कूल तो जाना ही है। बाढ़ अधिक होने पर जाटलूर में ही आंगनबाड़ी बालक आश्रम में रुक जाते हैं। ओरछा के खंड स्त्रोत समन्वयक लक्ष्मीकांत सिंह ने बताया बेड़मा, हांदावाड़ा, लंका, जाटलूर, कुर्सीनवार, हितामपारा आदि दो दर्जन क्षेत्रों का सड़क संपर्क कट गया है।

Related Articles

Back to top button