‘जीते जी घर मिल जाए…यही अंतिम इच्छा’
'I want to get a house while I am alive... this is my last wish'

रायगढ़ की ध्याना बाई पीएम आवास के लिए मंत्रियों के बंगले का चक्कर काट रही है। वह कह रहीं हैं कि जीते जी घर मिल जाए, मेरी यही अंतिम इच्छा है। 65 साल की ध्याना बाई बरेठ की आंखों में अब आंसू सूख चुके हैं। सिस्टम की बेरुखी, गरीबी की मार और बेबसी का बोझ लिए 65 साल की ध्याना बाई बरेठ दर-दर की ठोकरें खा रही हैं। न कोई पक्का ठिकाना, न सिर छुपाने की जगह। बस एक बैग है उनके पास, जिसमें कुछ कपड़े और शनि मंदिर के पास खुले आसमान के नीचे, कभी धूप तो कभी बारिश की मार सहते हुए जिंदगी काट रही हैं। ये कहानी रायगढ़ के चक्रधर नगर की रहने वाली ध्याना बाई बरेठ की है। ध्याना बाई PM आवास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, गृहमंत्री विजय शर्मा और डिप्टी CM अरुण साव को कई बार चिट्ठी लिख चुकी हैं। रायगढ़ से रायपुर आकर सड़क किनारे रहकर और स्टेशन के पास सोकर मंत्रियों के बंगलों के चक्कर काटने को मजबूर बुजुर्ग। ध्याना बाई बरेठ बताती हैं कि वृद्धा पेंशन ही सहारा है, जिससे दो वक्त की रोटी भी मुश्किल से नसीब होती है। फिर भी, हर महीने जैसे-तैसे ट्रेन पकड़कर रायपुर आती हैं, मंत्रियों के बंगलों के बाहर घंटों बैठी रहती हैं। कभी गार्ड कहता है मंत्री बाहर हैं, तो कभी बिना जवाब के लौटा दिया जाता है। ध्याना बाई को मंत्रियों के बंगलों की चक्कर काट रही हैं, लेकिन उन्हें अब तक घर नहीं मिला। रायगढ़ नगर निगम के दफ्तरों के कई चक्कर लगा चुकी ध्याना बाई बेहद परेशान हैं। पिछले साल आवास योजना में इन्हें मकान आवंटित हुआ मगर 2 लाख 73000 जमा करने की शर्त थी। इतनी बड़ी रकम न देने की वजह से मकान नहीं मिला। इस वजह से देश के प्रधानमंत्री और प्रदेश सरकार के मंत्रियों से यह बुजुर्ग गुहार लगा रही है। सालों पहले पति ने मारपीट कर छोड़ दिया, तब से सड़क पर रह रही हैं। कभी चोर-उचक्के उनके बैग को टटोलते हैं तो कभी यह बुजुर्ग सड़क पर छेड़छाड़ का शिकार भी होती रही है। कहती हैं कि मजदूरी करने जम्मू कश्मीर भी गई थी, वहां बस स्टैंड पर उनके गहने और रुपए चोरी हो गए, जो बची-खुची चीजें थी, वह पुलिस ने ले लिए। ध्याना बाई चाहती हैं कि इन्हें जीते जी सरकार एक मकान दे दे, ताकि यह अपना बुढ़ापा बिता सकें, बुजुर्ग ने यह तक कहा है कि मेरी मौत के बाद वह मकान सरकार वापस ले ले यही मेरी अंतिम इच्छा है। वृद्धा पेंशन के सहारे जिंदगी जी रही हूं। मुझे मकान मिल जाए, इससे मैं अपनी वृद्धावस्था आगे ठीक तरह से कट सकूं। ध्याना बाई PM आवास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, गृहमंत्री विजय शर्मा और डिप्टी CM अरुण साव को कई बार चिट्ठी लिख चुकी हैं। बड़ी मुश्किल से खुद को बचाकर वापस छत्तीसगढ़ पहुंची। 1 साल से रायगढ़ और रायपुर के बीच चक्कर काट रही इस महिला की मदद को कोई आगे अब तक नहीं आया है। बार-बार नगर निगम के दफ्तर जाने पर अफसर भी चिड़चिड़ा जाते हैं, और बुजुर्ग को भगा देते हैं। ध्याना बाई के पास नगर निगम रायगढ़ की एक चिट्ठी है, जिसमें लिखा है कि नगर पालिका निगम रायगढ़ क्षेत्र के प्रधानमंत्री आवास योजना मोर मकान मोर आस के तहत निर्मित परियोजना स्थल चंद्रनगर के लिए लॉटरी पद्धति के माध्यम से आवास के लिए चयनित किया जाता है। लॉटरी में ध्याना बाई का नाम भी है। पर्ची के अनुसार आपको परियोजना स्थल चंद्रनगर के ब्लॉक डी के तल क्रमांक सेकेंड मकान नंबर 23 का चयन हुआ है। पत्र में आगे लिखा है कि इसके लिए निर्धारित राशि 2 लाख 73000 को एक मुश्त बैंक या फाइनेंस अन्य माध्यम से निकाय के निगम कोष में 30. 8.24 तक जमा करना है। मंत्रियों के बंगलों की चक्कर काट रही हैं, लेकिन उन्हें अब तक घर नहीं मिला। उल्टा घर के बदले 2 लाख 73 हजार रुपए की मांग की गई। निगम ने रुपए जमा करने की चिट्ठी भेजी थी। ये राशि आवंटित आवास का स्थाई कब्जा प्राप्त करने के लिए है। अगर निर्धारित तिथि तक निर्धारित राशि जमा नहीं की जाती है, तो यह मानते हुए कि आप चयनित आवास में रूचि नहीं रखते हैं, आपके द्वारा चयनित आवास निरस्त कर दिया जाएगा। प्रधानमंत्री और सरकार के मंत्रियों के नाम चिट्ठी लिख चुकी है बुजुर्ग। ध्याना बाई के बैग में उम्मीद से भरी चिट्ठियां हैं, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा, अरुण साव को लिखी गई हैं। वृद्धा पेंशन के सहारे जिंदगी जी रही हूं, मकान के बदले मुझसे 2 लाख 73 हजार रुपए मांगे गए। इसे किसी और निधि या मद से सरकार जमा करा दे। मुझे मकान मिल जाए, इससे मैं अपनी वृद्धावस्था आगे ठीक तरह से कट सकूं। सरकारी दफ्तरों और मंत्रियों के बंगलों से यूं मायूस होकर लौट जाती है ये बुजुर्ग।