छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट का बड़ा फैसला: दुष्कर्म में साथ देने वाला सदस्य भी माना जाएगा दोषी
Chhattisgarh High Court's big decision: The person assisting in rape will also be considered guilty

बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने सूरजपुर जिले के बहुचर्चित गैंगरेप केस में पांच दोषियों को आंशिक राहत दी है। कोर्ट ने पाक्सो, एससी/एसटी और आइटी एक्ट के तहत दोषमुक्त किया, लेकिन आइपीसी की गंभीर धाराओं में सजा को बरकरार रखा। पीड़िता की सुसंगत गवाही, गर्भावस्था और बच्चे का जन्म घटना की पुष्टि करते हैं, ऐसा कहते हुए कोर्ट ने कहा कि केवल वीडियो न मिलना या डीएनए रिपोर्ट मैच न होना दोषियों को नहीं बचा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि समूह का कोई एक व्यक्ति भी दुष्कर्म करता है और अन्य लोगों की मंशा भी उसका साथ देने की है, तो सभी दुष्कर्म के दोषी माने जाएंगे। ट्रॉयल कोर्ट ने सभी को 20 साल तक की सजा दी थी। कोर्ट ने माना कि पीड़िता की उम्र 18 से कम साबित नहीं हुई व जाति प्रमाण पत्र घटना के 10 महीने बाद बना। आइटी एक्ट में कोई वीडियो बरामद नहीं हुआ। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आइपीसी की धाराओं के तहत सजा यथावत रहेगी और ट्रायल कोर्ट को आदेश पालन के निर्देश दिए। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा एवं न्यायमूर्ति रजनी दुबे की खंडपीठ ने यह फैसला को सुनाया है। अदालत ने कहा कि पीड़िता की स्पष्ट, सुसंगत और चिकित्सकीय रूप से पुष्ट गवाही के आधार पर गैंगरेप सिद्ध होता है। ये मामले खत्म किए गए कोर्ट ने पाक्सो अधिनियम को पीड़िता की आयु 18 वर्ष से कम सिद्ध नहीं हो पाने पर, एट्रोसिटी एक्ट को जाति प्रमाण पत्र घटना के 10 महीने बाद बनने और आरोपितों को पीड़िता की जाति की जानकारी नहीं होने पर और आइटी एक्ट को मोबाइल से कोई आपत्तिजनक वीडियो बरामद नहीं होने पर उसे खत्म कर दिया गया है।