छत्तीसगढ़
निजी स्कूलों की मनमानी पर परिजन आक्रोशित , यूनिफॉर्म और जूतों को लेकर स्कूलों की पाबंदियाँ, प्रशासन की चुप्पी पर उठे सवाल
Parents are angry at the arbitrariness of private schools, questions raised on the restrictions imposed by schools on uniforms and shoes, and the silence of the administration

रायपुर/ राजधानी रायपुर सहित प्रदेश के कई हिस्सों में निजी स्कूलों द्वारा यूनिफॉर्म और जूतों को लेकर मनमानी थोपने की घटनाएँ सामने आ रही हैं। दिल्ली पब्लिक स्कूल, रायपुर सहित कई प्रतिष्ठित स्कूलों ने छात्रों के लिए केवल Adidas और Puma ब्रांड के ब्लैक स्पोर्ट्स शूज़ को अनिवार्य किया है, जो सामान्य ब्रांड के मुकाबले तीन से चार गुना अधिक महंगे हैं।

स्कूल की नोटशीट पर स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि “मेडिकली बेनीफिशियल” Adidas या Puma शूज़ ही अनुशंसित हैं, और इसी आधार पर छात्रों को नोट लिखकर अन्य ब्रांड के जूतों को अस्वीकृत कर दिया जा रहा है। वहीं, यूनिफॉर्म के लिए केवल पंडरी स्थित एकल विक्रेता “परिधान वस्त्रालय” से ही खरीदने का मौन दबाव परिजनों पर डाला जा रहा है, जिससे अभिभावकों को वित्तीय दबाव का सामना करना पड़ रहा है।
यह सारा मामला स्कूलों और निजी विक्रेताओं के बीच संभावित सांठगांठ की ओर संकेत करता है, जिससे पारदर्शिता और अभिभावकों की स्वतंत्रता दोनों पर प्रश्नचिन्ह लगते हैं। प्रशासनिक स्तर पर अब तक कोई स्पष्ट निर्देश या हस्तक्षेप नहीं किया गया है, जिससे आम लोगों में असंतोष व्याप्त है।
शिक्षा के निजीकरण के नाम पर की जा रही इस प्रकार की मनमानी न केवल शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि मध्यमवर्गीय और निम्न आय वर्ग के परिजनों पर आर्थिक बोझ भी डालती है। अब यह आवश्यक हो गया है कि जिला प्रशासन, शिक्षा विभाग और बाल आयोग इस विषय में हस्तक्षेप कर एक मानक और लचीली व्यवस्था लागू करें, जिससे बच्चों की शिक्षा बाधित न हो और अभिभावकों की जेब पर अनावश्यक बोझ न पड़े।