
धमतरी: इस साल भादो माह में अच्छी बारिश हो रही है। भादो में सावन की झड़ी लगी। अंचल में लगातार बारिश होने से गंगरेल समेत जिले के अन्य बांधों में पानी की आवक होने के साथ जलभराव बढ़ने लगा है। जिले के प्रमुख गंगरेल बांध में 14485 क्यूसेक पानी की आवक के साथ बांध 83 प्रतिशत भर चुका है।
जानकारी के अनुसार, गंगरेल बांध में अब तक जलभराव 28 टीएमसी से अधिक हो चुका है। बांध को लबालब भरने के लिए अब सिर्फ चार टीएमसी पानी की जरूरत है, इसके बाद बांध से पानी छोड़ने की स्थिति बनेगी। जिसका सभी वर्गाें को बेसब्री से इंतजार है, क्योंकि इस साल बारिश के सीजन खत्म होने वाला है, लेकिन अब तक गंगरेल बांध का गेट नहीं खुल पाया है। संभावना है कि भादो माह में गेट खुल सकता है।
बता दें कि पिछले कुछ दिनों से अंचल में रूक-रूककर अच्छी बारिश हो रही है। खंड बारिश का दौर भी जारी है। बादल वाला मौसम, तेज धूप और झमाझम बारिश की स्थिति बनती है। मौसम परिवर्तन के साथ हो रही बारिश से जिले के बांधों की सेहत सुधरने लगा है।
19 अगस्त की सुबह से रात तक रूक-रूककर अच्छी बारिश हुई है। पूरे दिन झड़ी वाला मौसम बना रहा। भादो में सावन की झड़ी लगा। कामकाजी लोग बारिश से बचने के लिए छतरी व बरसाती लेकर घरों से बाहर निकले। दफ्तर भी बरसाती पहनकर पहुंचे। अच्छी बारिश से शहर व गांवों के गलियों में पानी भरा। सड़कों व गड्ढों में जगह-जगह पानी भरा हुआ है। भादो में सावन की झड़ी वाला मौसम होने के कारण जनजीवन प्रभावित रहा। हल्की बारिश का सिलसिला रात तक जारी रहा। बारिश के चलते कई लोग घरों में दुबके रहे।
गरज-चमक के साथ हुई बारिश से अब गंगरेल बांध के कैचमेंट क्षेत्र में भी पानी की अच्छी आवक हो रही है। मुरूमसिल्ली बांध में 926 क्यूसेक पानी की आवक होने के साथ बांध का जलभराव साढ़े तीन टीएमसी से अधिक हो चुका है। दुधावा बांध में 1303 क्यूसेक पानी की आवक होने के साथ बांध में करीब चार टीएमसी पानी भर चुका है। इसी तरह सोंढूर बांध में भी 1626 क्यूसेक पानी की आवक होने के साथ बांध में करीब चार टीएमसी पानी भर चुका है।
अंचल में हो रही अच्छी बारिश से किसानों के चेहरे खिल गए है, क्योंकि सावन माह के अंतिम सप्ताह से लंबे समय तक बारिश थम गई थी। भादो माह शुरू होने के साथ मौसम में परिवर्तन हुआ और बारिश होने लगी है। मंगलवार को पूरे दिन बारिश से झड़ी वाला मौसम होने के साथ अच्छी बारिश से खेतों में पानी भर गया है। इससे किसानों के चेहरे खिल गए है, क्योंकि खेतों को गर्मी और तेज धूप के चलते सिंचाई पानी की अति आवश्यकता थी।