छत्तीसगढ़ राज्य दिव्यांगजन कल्याण एवं पुनर्वास नीति 2025 के ड्राफ्ट को सशक्त बनाने 18 नवंबर को कार्यशाला का आयोजन
Workshop organized on November 18 to strengthen the draft of Chhattisgarh State Disability Welfare and Rehabilitation Policy 2025

राष्ट्रीय स्तर के प्रसिद्ध विशेषज्ञ का होगा विमर्श
रायपुर । छत्तीसगढ़ शासन के समाज कल्याण विभाग और यूनिसेफ के विशेष सहयोग से आगामी मंगलवार 18 नवंबर 2025 को रायपुर स्थित होटल कोर्टयार्ड बाय मैरियट में ’’छत्तीसगढ़ राज्य दिव्यांगजन कल्याण एवं पुनर्वास नीति 2025’’ के ड्राफ्ट को और सशक्त बनाने महत्वपूर्ण कार्यशाला का आयोजन करेगा।
यह कार्यशाला महिला एवं बाल विकास तथा समाज कल्याण मंत्री श्रीमती लक्ष्मी राजवाड़े के मुख्य आतिथ्य में सम्पन्न होगी। कार्यशाला का उद्देश्य है कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 के तहत प्रदेश के दिव्यांगजनों के लिए एक व्यापक और समावेशी नीति को अंतिम रूप देना है।
दिव्यागजन अधिकार अधिनियम, 2016 एक ऐतिहासिक कानून है जो दिव्यांगता को दया के बजाय ’अधिकार’ के विषय के रूप में स्थापित करता है। अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार प्रदेश में प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए समाज कल्याण विभाग द्वारा ’’छत्तीसगढ़ राज्य दिव्यांगजन कल्याण एवं पुनर्वास नीति 2025’’ का एक व्यापक ड्राफ्ट तैयार किया गया है। ड्राफ्ट को और अधिक सशक्त एवं समावेशी बनाने के लिए यह कार्यशाला यूनिसेफ के विशेष सहयोग से आयोजित की जा रही है।
यह कार्यशाला ’’हमारे बिना, हमारे बारे में कुछ भी नहीं’’ के मार्गदर्शी सिद्धांत पर आधारित होगी। इसका मुख्य उद्देश्य नीति को अंतिम रूप देने से पहले प्रमुख हितधारकों, विभिन्न संबंधित विभागों और राष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों से अमूल्य सुझाव एवं व्यावहारिक फीडबैंक प्राप्त करना है।
इस महत्वपूर्ण विमर्श को तकनीकी और विशेषज्ञ राय प्रदान करने के लिए देश के जाने-माने विशेषज्ञ शामिल होंगे। इनमें श्री राजीव रतूड़ी (राजीव रतूड़ी बनाम भारत संघ के ऐतिहासिक मामले में मुख्य याचिकाकर्ता एवं डिसेबिलिटी राइट्स प्रमोशन इंटरनेशनल के एशिया पेसिफिक क्षेत्रीय अधिकारी), श्री समीर घोष (समावेश सलाहकार, विश्व बैंक), श्री अखिल पॉल (मुख्य संरक्षक, सेंस इंटरनेशनल इंडिया) और यूनिसेफ की विशेषज्ञ सुश्री अलका मल्होत्रा प्रमुख हैं।
नीति-निर्माण में ’’समग्र शासन दृष्टिकोण’’ सुनिश्चित करने के लिए कार्यशाला में राज्य शासन के विभिन्न प्रमुख विभागों की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है। कार्यशाला में गृह (पुलिस), पंचायत एवं ग्रामीण विकास, आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति कल्याण, जनसंपर्क एवं पर्यटन, सामान्य प्रशासन, लोक निर्माण विभाग, स्कूल शिक्षा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, वित्त, वाणिज्य एवं उद्योग, परिवहन, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी, उच्च शिक्षा, कौशल विकास, तकनीकी शिक्षा एवं रोजगार, महिला एवं बाल विकास, नगरीय प्रशासन एवं विकास, श्रम, खेल एवं युवा कल्याण और ग्रामोद्योग विभाग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे।
कार्यशाला में मुख्य अपेक्षित परिणाम ड्राफ्ट नीति के हर अध्याय जैसे- शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, सुलभता और सामाजिक सुरक्षा पर विशेषज्ञों और इन सभी विभागों से ठोस इनपुट प्राप्त करना है। कार्यशाला में प्राप्त सुझावों को समाहित कर यह सुनिश्चित किया जाएगा कि अंतिम नीति न केवल व्यापक, समावेशी और सुदृढ़ बने, बल्कि प्रदेश में दिव्यांगजनों के जीवन में वास्तविक व सकारात्मक परिवर्तन लाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा।




