
रायपुर. भारत में आमतौर पर 1 जून तक दस्तक देने वाले मानसून ने 16 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. अपने तय समय से लगभग 1 सप्ताह पहले केरल में आज मानसून स्थापित हो गया है. पिछले साल 30 मई को मानसून की एंट्री हुई थी. वहीं छत्तीसगढ़ में आज सुबह से बारिश की गतिविधि जारी है.
मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने बताया कि दक्षिण-पश्चिम मानसून आज, 24 मई, 2025 को केरल में प्रवेश कर गया है, जबकि सामान्यतः यह 1 जून को प्रवेश करता है. दक्षिण-पश्चिम मानसून सामान्य तिथि से 8 दिन पहले केरल में आया है. वर्ष 2009 के बाद केरल में मानसून के आगमन की यह सबसे प्रारंभिक तिथि है, जब 23 मई 2009 को केरल में मानसून आया था.
मानसून के निर्धारित समय से 8 दिन पहले केरल में दस्तक देने को लेकर मौसम वैज्ञानिक एच.पी. चंद्रा ने जानकारी दी कि सामान्य तौर पर छत्तीसगढ़ में मानसून 13 जून तक पहुंचता है. जगदलपुर में आमतौर पर 13 जून, रायपुर में 16 जून और अंबिकापुर में 21 जून तक मानसून सक्रिय हो जाता है. इस बार, चूंकि दक्षिण-पश्चिमी मानसून एक सप्ताह पहले ही केरल में प्रवेश कर चुका है, ऐसे में सामान्य हवाओं की स्थिति को देखते हुए छत्तीसगढ़ में भी मानसून के समय से पहले पहुंचने की संभावना जताई जा रही है. अनुमान है कि इस वर्ष राज्य में मानसून 6 जून तक दस्तक दे सकता है, जो किसानों और गर्मी से परेशान लोगों के लिए राहत भरी खबर है.
इस वक्त अलग-अलग साइक्लोनिक सर्क्युलेशन, निम्न दाब और ट्रफ के कारण प्रदेश के कई इलाकों में बारिश, तेज हवाओं और गरज-चमक हो रही है. छत्तीसगढ़ समेत देशभर में झमाझम बारिश और बिजली गिरने की संभावना लगातार बने रहेगी. दक्षिण इलाकों में भारी बारिश की गतिविधि जारी है.
पिछले साल 30 मई को दक्षिण भारत में मानसून ने दस्तक दी थी. इसके पहले 2023 में 8 जून, 2022 में 29 मई, 2021 में 3 जून, 2020 में 1 जून, 2019 में 8 जून और 2018 में 29 मई को केरल में मानसून की शुरुआत हुई थी. भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने अप्रैल में अनुमान जताया था कि 2025 में मानसून सामान्य से अधिक वर्षा लेकर आएगा. साथ ही, अल नीनो की आशंका को भी खारिज कर दिया गया था, जो आमतौर पर भारतीय उपमहाद्वीप में कम बारिश का कारण बनता है.
फिलहाल देश के कई हिस्सों में बारिश और गरज-चमक के बीच गर्मी से राहत की उम्मीद जगी है. मौसम विभाग मानसून की प्रगति पर लगातार नजर बनाए हुए है. अभी तक इसके आगमन में कोई खास देरी या असामान्यता नहीं देखी गई है. चूंकि मानसून का सीधा असर कृषि पर पड़ता है, इसलिए बारिश पर निर्भर किसानों के लिए यह सकारात्मक खबर है.