मुख्यमंत्री की मंशानुरूप युक्तियुक्तकरण नीति से दूरस्थ अंचलों में भी शिक्षा को मिल रहा नया आयाम
Education is getting a new dimension in remote areas also due to rationalization policy as desired by the Chief Minister

बगडीहपारा जैसी सुदूर वनांचल बस्तियों में भी पहुँच रही गुणवत्तापूर्ण और नियमित शिक्षा
पूर्व में यह शाला सीमित शिक्षक के भरोसे संचालित हो रही थी, जिससे बच्चों को सभी विषयों की पढ़ाई नहीं मिल पाती थी। लेकिन युक्तियुक्तकरण के तहत हाल ही में पदस्थ किए गए शिक्षक श्री रंजीत खलखो ने न केवल विद्यालय में शिक्षा व्यवस्था को सशक्त किया, बल्कि स्वयं ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्र में सेवा देना अपना सौभाग्य भी माना। श्री खलखो पहले प्राथमिक शाला बड़वापाट में अतिशेष शिक्षक के रूप में कार्यरत थे। शासन द्वारा आरंभ की गई पारदर्शी और आवश्यकता आधारित युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया के तहत उन्हें अपनी प्राथमिकता के आधार पर नई शाला चुनने का अवसर मिला, जिसे उन्होंने सुदूर बगडीहपारा शाला के रूप में चुना।
इस विद्यालय में दो शिक्षकों की मौजूदगी से नियमित कक्षाएँ संचालित हो रही हैं। बच्चों की उपस्थिति में बढ़ोत्तरी हुई है और शिक्षा के प्रति अभिभावकों का भरोसा भी मजबूत हुआ है। गाँव में शिक्षा को लेकर नया विश्वास पैदा हुआ है और यह सब संभव हो पाया है राज्य शासन की दृढ़ इच्छाशक्ति और योजनाबद्ध क्रियान्वयन से।
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय की पहल पर शुरू की गई यह नीति केवल व्यवस्थागत सुधार नहीं, बल्कि हर बच्चे तक शिक्षा के अधिकार को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे यह सुनिश्चित हो रहा है कि राज्य के सुदूरवर्ती इलाकों के बच्चे भी गुणवत्तापूर्ण और समुचित शिक्षा से वंचित न रहें। शाला-शिक्षक युक्तियुक्तकरण नीतिगत दृष्टि से न केवल शिक्षकों के संतुलित वितरण का माध्यम बन रही है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की नींव को गाँव-गाँव तक मजबूत कर रही है।