धमतरी की स्वर्णिम कृषि यात्रा : आत्मनिर्भरता और समृद्धि के 25 वर्ष
Dhamtari's golden agricultural journey: 25 years of self-reliance and prosperity

रायपुर । छत्तीसगढ़ के मध्य में बसा धमतरी जिला अपनी प्राकृतिक सुंदरता समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और उपजाऊ भूमि के लिए जाना जाता है। 06 जुलाई 1998 को रायपुर और महासमुंद जिलों से विभाजित होकर स्थापित धमतरी ने पिछले 25 वर्षों में अपने आत्मनिर्भरता और समृद्वि में उल्लेखनीय प्रगति की हैं। जिले के किसानों ने परंपरागत खेती से आगे बढ़कर आधुनिक तकनीक, सिंचाई सुविधाओं और शासन की योजनाओं का लाभ उठाया हैं। परिणामस्वरूप उत्पादन, क्षेत्रफल और किसानों की आय में अभूतपूर्व वृद्धि हुई, जो जिले की कृषि क्षमता और मेहनतकश किसानों की जीवंत गाथा को दर्शाती है।
इस जिले का प्रमुख खरीफ फसल धान रही है। वर्ष 2000 में खरीफ का क्षेत्रफल 1,37,575 हेक्टेयर था, जो 2025 में लगभग स्थिर रहते हुए 1,35,886 हेक्टेयर रहा। इसके विपरीत रबी फसलों का क्षेत्र 40,930 हेक्टेयर से बढ़कर 60,620 हेक्टेयर हो गया, जो 48.11 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। यह प्रगति आधुनिक सिंचाई साधनों और किसानों की नई सोच का परिणाम है।
दलहन और तिलहन उत्पादन में भी जिले ने ऐतिहासिक उपलब्धियाँ हासिल कीं। रबी दलहन का क्षेत्र 10,570 हेक्टेयर से बढ़कर 32,290 हेक्टेयर तक पहुँचा, जिसमें 205.49 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। इसी प्रकार रबी तिलहन में 498.04 प्रतिशत की जबरदस्त वृद्धि हुई। यह परिवर्तन जिले को खाद्यान्न एवं तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर ले जा रहा है।
सिंचाई विस्तार कृषि उन्नति का आधार बना। खरीफ का सिंचित क्षेत्र 87,390 हेक्टेयर से बढ़कर 1,20,026 हेक्टेयर हुआ, वहीं रबी में 32,500 हेक्टेयर से बढ़कर 74,490 हेक्टेयर तक पहुँचा, जो 129.20 प्रतिशत की वृद्धि है। इससे रबी फसलों की उत्पादकता और स्थिरता में उल्लेखनीय सुधार हुआ।
बीज और उर्वरक वितरण व्यवस्था भी सुदृढ़ हुई है। वर्ष 2025 में 60,895 क्विंटल बीज और 26,950 टन उर्वरक वितरित किए गए। फसल बीमा योजना के अंतर्गत खरीफ में 10,864.4 हेक्टेयर और रबी में 5,445 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया, जिससे किसानों को जोखिम प्रबंधन का मजबूत साधन मिला।
जैविक खेती में भी अच्छी-खासी बढ़ोतरी हुई है। खरीफ में जैविक क्षेत्र 1,180 हेक्टेयर से बढ़कर 1,680 हेक्टेयर और रबी में 100 हेक्टेयर से बढ़कर 250 हेक्टेयर हो गया। यह बदलाव पर्यावरण संरक्षण और सतत कृषि की दिशा में किसानों की जागरूकता को दर्शाता है। किसानों की आय संवर्धन हेतु प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना से जिले के 1,02,036 कृषक लाभान्वित हुए। समर्थन मूल्य पर उपार्जन ने किसानों को नई मजबूती दी। धान का समर्थन मूल्य वर्ष 2000 के 540 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 2025 में 3,100 रुपये प्रति क्विंटल हुआ, जो 474 प्रतिशत की वृद्धि है। पहली बार जिले में चना उपार्जन भी हुआ, जिसमें 2,212 किसानों से 20,646.5 क्विंटल चना खरीदा गया और 1,166.52 लाख रुपये का भुगतान किया गया।
पिछले 25 वर्षों में धमतरी की कृषि व्यवस्था ने स्वर्णिम उपलब्धियाँ अर्जित की हैं। रबी फसलों, दलहन-तिलहन, सिंचाई विस्तार, जैविक खेती और समर्थन मूल्य पर उपार्जन में हुई प्रगति ने न केवल किसानों की आय बढ़ाई है बल्कि जिले को आत्मनिर्भर और समृद्ध कृषि मॉडल के रूप में स्थापित किया है। खरीफ 2025 की फसल क्षेत्राच्छादन की पूर्णता के बाद कृषि उपलब्धियों का नया अध्याय और भी सशक्त रूप में सामने आएगा।